सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जीवन परिचय Biography of Sachchidananda Hiranand Vatsyayan Agnay

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय'(1911-1987)🤎 जीवन परिचय

अज्ञेय का जन्म कुशीनगर उत्तर प्रदेश (Kushinagar, Uttar pradesh)  में सन 1911 में हुआ था उनका बचपन लखनऊ Lucknow श्रीनगर Srinagar और जम्मू-कश्मीर Jammu Kashmir में बीता था| अज्ञेय का मूल नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन Sachchidananda Hiranand Vatsyayan है| उन्होंने कव्त्य रचनायो को अज्ञेय के नाम से रचा| उनकी प्रारंभिक शिक्षा primary education अंग्रेजी और संस्कृत  English and Sanskrit में हुई| धीरे-धीरे उन्होंने हिंदी में पारंगत हासिल कर ली| मूल रूप से वे विज्ञान Science के छात्र थे| विज्ञान में स्नातक Graduate बनने के बाद उन्होंने अंग्रेजी में एम. ए. (M.A. in English)  प्रवेश लिया किंतु उन्हें अपना अध्यक्ष बीच में समाप्त करना पड़ा क्योंकि ठीक उसी समय वे क्रांतिकारी आंदोलन(Revolutionary movement)में हिस्सा ले रहे थे| इसी कारण वे चार वर्ष जेल में रहे तथा दो वर्ष नजरबंद(House arrest) रहे|

आरम्भिक शिक्षा(Primary Education)

अज्ञेय  घुमक्कड़ प्रगति के थे, इसलिए देश-विदेश की अनेक यात्रा की थी उन्होंने कई नौकरिया की व छोड़ी| वे जोधपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी रहे| उन्होंने हिंदी के प्रसिद्ध समाचार साप्ताहिक दिनमान की स्थापना की तथा मुख्य संपादक भी रहे|  कुछ समय तक वह नवभारत टाइम्स के संपादक भी रहे| इसके अतिरिक्त उन्होंने अनेक साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं जैसे सैनिक विशाल भारत प्रतीक और नया प्रतीक आदि का संपादन किया| आजादी के बाद की हिंदी कविता पर उनका व्यापक प्रभाव है सप्तक परंपरा का सूत्रपात करते हुए अज्ञेय ने तार सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक का संपादन किया| प्रत्येक सप्तक में सात कवियों की कविताएं संग्रहित है जो शताब्दी के कई दशकों की काव्य चेतना को प्रकट करती है|

कार्य क्षेत्र(work)

यह भी बड़ी दिलचस्प बात है कि बाकी साहित्यकारों का चेहरा-मोहरा कभी चर्चा में रहा हो या न रहा हो लेकिन अज्ञेय ने अपने समय में इसकी वजह से भी चर्चाएं बटोरी थीं| ज्यादातर हिंदी लेखकों की तरह वे दीन-हीन या उदास-बेजार से नहीं दिखते थे| शायद इसमें उनकी विचार शक्ति का अहम योगदान हो लेकिन उनका चेहरा दीप्त  और एक तरह की कुलीनता लिए हुए था| इसको लेकर भी उनकी निंदा और स्तुति (Condemnation and praise) दोनों होती रही| वह दुख से घिरा चेहरा नहीं था| दुख हुआ भी तो उसने अज्ञेय की आभा को मांजकर प्रखर करने का ही काम किया होगा| उन्होंने कहा भी है, ‘दुख सबको मांजता है ’ (कविता – असाध्य वीणा)|

प्रमुख कृतियाँ(Major works)

कविता संग्रह : भग्नदूत, इत्यलम,हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर–मुद्रा‚ पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ‚ महावृक्ष के नीचे‚ नदी की बाँक पर छाया और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
कहानी–संग्रह :विपथगा, परंपरा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप।
उपन्यास – शेखरः एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने अपने अजनबी।
यात्रा वृत्तांत – अरे यायावर रहेगा याद, एक बूंद सहसा उछली।
निबंधों संग्रह : सबरंग, त्रिशंकु, आत्मानेपद, आधुनिक साहित्यः एक आधुनिक परिदृश्य, आलवाल,
संस्मरण :स्मृति लेखा
डायरियां : भवंती‚ अंतरा और शाश्वती।

उपन्यास लेखन(Novel writing)

उनका लगभग समग्र काव्य ‘सदानीरा’ ह्यदो खंडहृ नाम से संकलित हुआ है तथा अन्यान्य विषयों पर लिखे गए सारे निबंध ‘केंद्र और परिधि’ नामक ग्रंथ में संकलित हुए हैं।विभिन्न पत्र–पत्रिकाओं के संपादन के साथ–साथ ‘अज्ञेय’ ने ‘तार सप्तक’‚ ‘दूसरा सप्तक’‚ और ‘तीसरा सप्तक’ – जैसे युगांतरकारी काव्य–संकलनों का भी संपादन किया तथा ‘पुष्करिणी’ और ‘रूपांबरा’ जैसे काव्य–संकलनों का भी।वे वत्सलनिधि से प्रकाशित आधा दर्जन निबंध–संग्रहों के भी संपादक हैं। निस्संदेह वे आधुनिक साहित्य के एक शलाका–पुरूष थे‚ जिसने हिंदी साहित्य में भारतेंदु Bhartendu के बाद एक दूसरे आधुनिक युग का प्रवर्तन किया। कविता के अलावा अज्ञेय ने आलोचना, निबंध, यात्रा-वृतांत, उपन्यास कहानी आदि अनेक साहित्यिक विधाओं को रचने में अपना लोहा मनवाया है|

निधन(Death) 

अज्ञेय वास्तविक प्रकृति प्रेम और मानव मन के अंतर्द्वंदो के कवि हैं उन्होंने अपनी कविता में मानव स्वतंत्रता का आग्रह किया है और बोद्धिकता का विस्तार भी किया है उन्होंने शब्दों को नया अर्थ देने का प्रयास करते हुए हिंदी काव्य भाषा का विकास किया है उनको मिलने वाले मुख्य पुरस्कारों में साहित्यकार अकादमी पुरस्कार भारत भारतीय सम्मान और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार यह प्रमुख है|


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