भूलकर भी ना चड़ाए शिवजी को केतकी का फूल – Don’t offer Ketaki flower to Lord Shiva even by mistake
सावन मास / Sawan month चल रहा है और 10 जुलाई को सावन के पहले सोमवार/ First month का व्रत किया गया है। सावन मास में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई तरह से पूजा/ Worship in many ways अर्चना करते हैं और गुलाब, चंपा, कमल समेत कई फूलों को अर्पित करते हैं। पर एक फूल ऐसा है, जिसको भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता और वह फूल है केतकी का फूल/ Ketaki flower। शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा अर्चना में केतकी का फूल निषेध/ Ketaki flower prohibition बताया गया है। केतकी का फूल शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाही क्यों है, इसका कारण एक शाप है। आइए जानते हैं इस पोस्ट में केतकी का फूल भगवान शिव/ Lord shiva को क्यों नहीं चढ़ाया जाता और केतकी को कौन सा शाप मिला है। महादेव की पूजा में शिव भक्त भांग धतूरा के साथ बहुत सी चीजें अर्पित करते हैं। पर एक फूल ऐसा है, जिसको भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता और वह है केतकी का फूल, शिव पुराण/ Shiv pooran में एक कथा मिलती है, कि किस तरह महादेव ने केतकी को अपनी पूजा से वर्जित कर दिया और शाप दिया। आइए जानते हैं केतकी के फूल और भगवान शिव की इस कथा के बारे में।
केतकी के फूल को लेकर पौराणिक कथा
Mythology about Ketaki flower
भगवान शिव को केतकी का फूल अर्पित नहीं किया जाता, इसको लेकर एक शिव पुराण में एक पौराणिक कथा है। शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मदेव और विष्णु देव के बीच विवाद हो गया कि कौन सर्वश्रेष्ठ है। विवाद इतना बढ़ गया कि इसका हल न निकलते देख भगवान शिव को बीच में आना पड़ा। तब भगवान शिव ने एक ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की और कहा कि जो कोई भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत खोज लेगा, वह ही श्रेष्ठ कहलाएगा।
ब्रह्मदेव ने महादेव से बोला झूठ / Brahmadev lied to Mahadev
ब्रह्माजी भी ज्योतिर्लिंग की शुरुआत खोजते खोजते थक गए तब उनको रास्ते में केतकी का फूल मिला। ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर भगवान शिव के सामने झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद केतकी का फूल और ब्रह्माजी भगवान शिव के सामने पहुंचे। ब्रह्माजी ने भगवान शिव से कहा कि उन्हें ज्योतिर्लिंग की शुरुआत मिल गई है और केतकी के फूल से भी झूठी गवाही दिलवा दी।
ज्योतिर्लिंग के आदि और अंत के खोज की हुई शुरुआत
The beginning of the search for the beginning and end of Jyotirlinga
ऐसे में ज्योतिर्लिंग के ऊपर की दिशा में भगवान विष्णु बढ़ने लगे और ब्रह्मदेव ज्योतिर्लिंग की शुरुआत खोजने के लिए नीचे की तरफ जाने लगे। शिवलिंग का आदि और अंत खोजने के लिए ब्रह्मदेव और विष्णु देव ने लाख कोशिश की। लाख खोजने के बाद जब भगवान विष्णु को ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं मिला तो उन्होंने अपनी यात्रा रोक दी और महादेव के सामने स्वीकार किया की, वह ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं खोज सके।
केतकी के फूल को मिला महादेव से शाप
Ketaki flower got curse from Mahadev
भगवान शिव को पता था कि ब्रह्मदेव झूठ बोल रहे हैं। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया। तब से ब्रह्मदेव पंचमुख से चार मुख के हो गए। वहीं केतकी के फूल को शाप दिया कि आज से मेरी पूजा से तुमको वर्जित किया जाता है। तब से लेकर आज तक महादेव की पूजा में केतकी का फूल अर्पित नहीं किया जाता। भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल चढ़ाना पाप के समान माना गया है। इसलिए हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि सावन या कभी भी महादेव की पूजा जब भी कर रहे हों, तब केतकी का फूल अर्पित ना करें।
निष्कर्ष / Conclusion
केतकी का फूल भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाया जाता और केतकी को कौन सा शाप मिला है। महादेव की पूजा में शिव भक्त भांग धतूरा के साथ बहुत सी चीजें अर्पित करते हैं। पर एक फूल ऐसा है, जिसको भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता और वह है केतकी का फूल, शिव पुराण में एक कथा मिलती है, कि किस तरह महादेव ने केतकी को अपनी पूजा से वर्जित कर दिया और शाप दिया। आइए जानते हैं केतकी के फूल और भगवान शिव की इस कथा के बारे में।
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