निर्मल भारत अभियान या कार्यकम की शुरूआत किस वर्ष हुई थी? In which year the Nirmal Bharat Abhiyan or program was started?
निर्मल भारत अभियान (एनबीए) – स्वच्छता कार्यक्रम जो वर्ष 1999 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इस निर्मल भारत अभियान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच विशेष रूप से ग्रामीण लोगों के बीच स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है।स्पष्ट रूप से कहें तो निर्मल भारत अभियान योजना पहली परियोजना थी जिसे विशेष रूप से ग्रामीण भारत के लिए बनाए गए सुनियोजित और संरचित कार्यक्रम के साथ स्थापित किया गया था। संपूर्ण परियोजना को समुदाय आधारित संपूर्ण स्वच्छता (सीएलटीएस) के सिद्धांत के तहत संसाधित किया गया है।
इस निर्मल भारत अभियान कार्यक्रम की पृष्ठभूमि
Background of this Nirmal Bharat Abhiyan program
देश के ग्रामीण हिस्सों के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और ग्रामीण महिलाओं को उचित स्वच्छता का उपयोग करने के लिए शिक्षित करके उनकी सुरक्षा के लिए यह योजना निर्मल भारत अभियान शुरू की गई थी। हालाँकि, केंद्र सरकार द्वारा पहले भी कुछ योजनाएँ और योजनाएँ स्थापित की गई हैं, निर्मल भारत अभियान में बहुत अधिक संरचित अभियान कार्यक्रम थे जो ग्रामीण भारत के लोगों में जागरूकता पैदा करते हैं।
वर्ष 2012 में, निर्मल भारत अभियान (एनबीए) ने अधिक संख्या में ग्रामीण गांवों को उचित स्वच्छता से जोड़ने में जबरदस्त सफलता हासिल की। इस निर्मल भारत अभियान (एनबीए) के तहत चलाए गए अभियानों से प्रेरित अपार लोकप्रियता अधिक संख्या में ग्रामीण लोगों को अपने परिवार के सदस्यों को उचित स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
निर्मल भारत अभियान (एनबीए) के उद्देश्य
Objectives of Nirmal Bharat Abhiyan (NBA)
- निर्मल भारत अभियान (एनबीए) योजना की शुरूआत देश के ग्रामीण हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता का निर्माण करना है।
- निर्मल भारत अभियान (एनबीए) योजना का उद्देश्य विभिन्न ग्राम पंचायतों के माध्यम से देश में उचित स्वच्छता के उपयोग में तेजी लाना है।
- योजना के तहत उचित अभियानों और कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता पैदा करके जनता और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों को उचित स्थायी स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना।
- एनबीए योजना सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) को भी कवर करती है, जहां स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य के महत्व पर शिक्षित किया जाता है। और उन्हें स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करना सिखाना।
- स्वच्छता के प्रति जागरूकता विकसित करना और उचित अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रिया के साथ ठोस और तरल कचरे के उचित निपटान पर ग्रामीण लोगों का मार्गदर्शन करना।
2014 के वर्ष में, निर्मल भारत अभियान (एनबीए) योजना को बंद कर दिया गया है, क्योंकि इस योजना को नई योजना स्वच्छ भारत के साथ नवीनीकृत किया गया है जो वर्तमान एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई है और भारत के प्रधान मंत्री श्री मोदी ने इस योजना की शुरुआत की, साथी नागरिकों से राष्ट्र को स्वच्छ रखने का अनुरोध करके और लोगों को राष्ट्र को स्वच्छ रखने में मदद करने के लिए।
निर्मल ग्राम अभियान में नया क्या है?
What is new in Nirmal Gram Abhiyan?
सर्वप्रथम इस साल साफ-सफाई के लिए, बजट प्रावधान करीब दो गुना कर दिया गया है। इस साल इस मद के लिए 3500 करोड़ रु. का प्रावधान रखा गया है। 12वीं योजना (2012-17) में इसे चार गुना करने का प्रस्ताव है। नए वित्तीय प्रावधानों से इस चुनौती से निपटने के लिए नए संकल्प का संकेत मिलता है। अच्छी किस्म के शौचालयों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए घरेलू शौचालयों के निर्माण में अनुदान की राशि 3200 रु. से बढ़ाकर 10,000 रु. कर दी गई है। इसमें 4500 रु. तक की वह अतिरिक्त राशि भी शामिल है जो मनरेगा के तहत प्रदान की जाती है।
दूसरे, निर्मल भारत अभियान से पुरानी नीति की खामी दूर कर दी गई है जिसमें किसी पंचायत में कुछ चुनिंदा घरों को ही अनुदान दिया जाता था। निर्मल भारत अभियान में पूरी पंचायत को ही स्वच्छता की राह पर मोड़ दिया गया है। यानी चुनी हुई पंचायत में समस्त घरों में शौचालय सुनिश्चित किए जाएंगे और इनकी निगरानी का काम पंचायतों को सौंप दिया जाएगा। तीसरे, निर्मल भारत अभियान में शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ लोगों को इनका सही ढंग से इस्तेमाल करने के बारे में बताया जाएगा। एक स्वतंत्र शोध से पता चलता है कि लोगों को आधुनिक शौचालयों के इस्तेमाल के लिए तैयार करना भी टेढ़ी खीर है। निर्मल भारत अभियान की सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) रणनीति के पीछे प्रेरक तत्व यह है कि यह अभियान सरकार द्वारा संचालित योजना के बजाए जनता का अभियान बन जाए। इसीलिए, शौचालयों के निर्माण के पीछे जागरुकता और उपयोगिता का पहलू प्रमुख है। इस कार्यक्रम के लिए एनबीए बजट का दो फीसदी प्रावधान किया गया है। यह राशि पंचायतों की क्षमता निर्माण और जमीनी कार्यकर्ताओं व कर्मचारियों पर खर्च की जाएगी। जागरुकता के लिए स्वच्छता दूत, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी और स्कूल टीचरों का सहयोग लिया जाएगा। सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की तर्ज पर व्यवहार में बदलाव के सफल तरीकों को लक्षित क्षेत्रों में लागू किया जाएगा।
निर्मल भारत अभियान की चौथी खूबी यह है कि इसमें प्रोत्साहन आधारित उपायों पर जोर दिया गया है, जो पंचायतें निर्मल ग्राम पंचायत का दर्जा हासिल कर लेती हैं, उन्हें ग्राम पुरस्कार के रूप में नकद राशि दी जाती है। अभियान की सफलता में इस पहलू की अहम भूमिका रही है। जो पंचायतें कम से कम 6 माह तक निर्मल ग्राम पंचायत का दर्जा बनाए रखती हैं, उन्हें पुरस्कार की दूसरी किस्त का भुगतान किया जाता है। यह प्रावधान भी रखा गया है कि लक्ष्य में चूकने वाली पंचायतों से पुरस्कार वापस ले लिया जाएगा। एनबीए में पांचवी नवीनता यह है कि इसमें जल, शौच, स्वच्छता की एकीकृत योजना बनी गई है। बेहतर परिणामों के लिए इन तीनों को आपस में जोड़ना बेहद जरूरी था। निर्मल ग्राम के रूप में चिन्हित पंचायतों को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जलापूर्ति में वरीयता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, जिन पंचायतों में तमाम लोगों के लिए जल की उपलब्धता है उन्हें निर्मल ग्राम के रूप में चुनने में वरीयता मिलेगी। एनबीए में सतत निगरानी और मूल्यांकन की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। इसके आधार पर जमीनी हालात की सही सूचना हासिल की जा सकती है। हर दूसरे वर्ष स्वतंत्र मूल्यांकन अनिवार्य बनाया गया है। राष्ट्रीय स्तर के निगरानीकर्ताओं द्वारा वास्तविक मूल्यांकन और इसके परिणामों को ऑनलाइन जारी करने का भी प्रस्ताव है।
इसका यह मतलब नहीं है कि हम जीत की घोषणा कर रहे हैं। सफलता के लिए बहुत सी परम्पराओं और कुरीतियों को तोड़ना होगा। विभिन्न समुदायों की भागीदारी बढ़ानी होगी और सरकार को हर स्तर पर गंभीर प्रयास करने होंगे। महात्मा गांधी ने कहा था, जन सुविधाएं स्वतंत्रता से भी महत्वपूर्ण हैं। यह महात्मा गांधी के स्वप्न को साकार करने का समय है। तभी हम खुले में शौच करने की शर्मिंदगी से मुक्त होकर भारत को सही अर्थ में स्वतंत्रता की ओर ले जाएंगे।
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