पाठ का सार – प्रेमचंद के फटे जूते 👞 हरिशंकर परसाई Lesson summary of Harishankar Parsai in Hindi

सारांश – प्रेमचंद के फटे जूते 👞 Lesson summary

हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai) जी के द्वारा लिखित “प्रेमचंद के फटे जुटे” निबंध पाठ बहुत अधित चर्चित निबंध पाठ है | पाठ में हरिशंकर परसाई जी प्रेमचंद (Prem chand) की ऐसी फोटो की बात करते है, की प्रेमचंद जी की एक तस्वीर (Picture) उनके पास हैं जिसमे वो अपनी पत्नी के साथ दिखाई दे रहे हैं | उन्होंने इस तस्वीर में सर पे एक टोपी (cap) पहनी हुई हैं, बदन पर कुरता और नीचे धोती बांध रखी हैं | जिसमे उनकी  कनपटी चिपकी हुई दिखाई दे रही है, और गाल अंदर गहरे धंसे हुए हैं गालो की हड्डियाँ (Jaw Bone) उभर कर बाहर की तरफ दिख रही हैं | और उनके चेहरे पर लम्बी घनी मूंछे हान जिनकी वजह से चेहरा भरा भरा दिखाई दे रहा हैं |

प्रेमचंद जी का पहनावा

आगे लेखक हैरानगी से लिखते हैं की तस्वीर खिचवाने के लिए ये पहनावा हैं तो ना जाने पहनने की कैसी होगी ? उसके बाद वो अनुमान लगते हुए बोलते हैं की प्रेमचंद जी की अलग अलग पोशाके (Clothes) नही होंगी | इनमे तो तरह तरह के या बदल बदल के पोशाके पहनने का कोई गुण नही है |  वो ऐसे ही तस्वीर में भी आज जाते हैं |

Summary of premchand ke fate jute in hindi
Summary of premchand ke fate jute in hindi

मुस्कुराहट में मुस्कान नही

हरिशंकर परसाई जी यानि की इस पाठ के लेखक प्रेमचंद जी का चेहरा तस्वीर में देखते हुए उनसे ये कहते हैं की तुम्हारा जूता फट गया हैं और इन जूतों 👞 मे से तुम्हारी उंगलिया बाहर आ रही हैं क्या तुम्हे ये ठीक से दिख नही रहा हैं | क्या तुम्हे इस बात का ज़रा भी एहसास (Feelings) नही है क्या ? तुम्हे ज़रा भी संकोच नही होता ? क्या तुम्हे इतना भी नही सुझा की धोती को ज़रा निचे की तरफ थोडा और खींच लेते और अपनी ऊँगली को ढक लेते | लेकिन इसके बाद भी तुम्हारा चेहरा विश्वास (trust) से भरा हुआ हैं | आगे लेखक ने कहा की जब फोटोग्राफर  ने तुमसे “रेडी प्लीज” कहा होगा, तब तुमने हमारी परम्परा की अनुसार ही मुस्कुराने की कोशिश की होगी | और तुम अपने दर्द के गहरे कुएं की तल में पड़ी अपनी मुस्कान को आराम -आराम खींच कर उपर की ओर ला रहे होगे | तभी झट से फोटोग्राफर ने तुम्हारी तस्वीर खींच कर तुम्हे थैंक्यू बोल दिया होगा | आगे हरिशंकर परसाई जी पर सच तो ये है की इस मुस्कुराहट में मुस्कान नही, बल्कि  उपहास (Derision) और व्यंग (satire) हैं |

हरिशंकर परसाई जी की हैरानगी

हरिशंकर परसाई जी को हैरानी होती हैं जिस समाज में लोग अपनी बदहवाली को छुपाने का प्रयास करते हैं, ऐसे में प्रेमचंद ऐसा नहीं करते। उन्हें साहित्य में सम्राट की पदवी मिल चूकी है। लेकिन वह उसके घम्मंड (Ego) में नहीं है। उनके फटे जूते इस ओर भी संकेत (signal) करता है कि उपन्यास के राजा की दशा इतनी खराब दी थी कि उसके पास अपने जूते लेने के लिए भी पैसे नहीं है। हरिशंकर परसाई व्यंग्य के माध्यम से गंभीर बात कहते है।

सीख, व्यक्तित्व की

  • सादा जीवन प्रेमचंद जी दिखावे में और दिखावे के जीवन से दूर रहते थे |वे गाँधी जी की तरह सादी सी ज़िन्दगी जीते थे।
  •  सुविचार– प्रेमचंद जी बड़े ही सुविचार और बहुत ही उच्च थे। वो समाज की बुराइयों से दूर रहे।
  • प्रेमचंद जी का स्वाभिमानी व्यक्तित्व– प्रेमचंद जी किसी दूसरे व्यक्ति की वस्तुओं को माँगना सही नहीं समझते थे। वे अपनी गरीबी में ही खुश थे।
  • सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता उन्होंने समाज में फैली हुई कुरीतियों के प्रति लोगों को अगहा किया। वे एक स्वस्थ समाज चाहते थे |
  • प्रेमचंद जी एक संघर्षशील व्यक्ति – प्रेमचंद जी अपने जीवन में आने वाली मुसीबतों से कभी भी दूर नहीं भागते थे | और उसपर विजय पाकर आगे बढ़ते थे।
  • हालिया स्थिति से संतुष्ट– प्रेमचंद का जीवन हमेशा गरीबी में बीता। उन्होंने अपनी स्थिति दूसरों से छिपाकर रखी। वे जैसे भी थे उसी में खुश रहने वाले व्यक्ति थे।

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