आइए जानते है NATO के बारे में भी / Let’s know about NATO and information related to it
नाटो के सदस्य देशों ने रूस के साथ जंग के बीच कई लाख डॉलर वाले एयर डिफेंस सिस्टम यूक्रेन को मुहैया कराए हैं। / NATO member countries have provided multi-million dollar air defense systems to Ukraine amid war with Russia . इनका मकसद रूस की तरफ से होने वाले हमलों से यूक्रेन के शहरों की सुरक्षा करना है। ड्रोन से लेकर एयरक्राफ्ट तक को गिरा देने वाला सिस्टम अब यूक्रेन के पास मौजूद है। पश्चिमी देशों के रक्षा गठबंधन नाटो ने युद्ध की शुरुआत में ही यूक्रेन की मदद करने का भरोसा दिया था। अब जंग के नौ महीने बाद वह अपना वादा पूरा कर रहा है। / Now, nine months after the war, he is fulfilling his promise. लेकिन यह नाटो आखिर है क्या और इसका मकसद क्या है? यूक्रेन की जंग के अलावा सीरिया में जारी युद्ध के दौरान भी इसका नाम सुना गया था। जानिए आज इस गठबंधन के बारे में सबकुछ।
क्या है नाटो और इसका मकसद – What is NATO and its purpose
नाटो यानी नॉर्थ अटलाटिंक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन, यह वह ग्रुप यी संगठन है जो एक रक्षा गठबंधन के तौर पर काम करते है। साल 1949 में 12 देशों के साथ इसका गठन किया गया था जिसमें अमेरिका, कनाडा और फ्रांस और यूके भी शामिल थे। इसमें शामिल देशों ने तय किया था कि किसी भी हमले की स्थिति में ये एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आएंगे।
नाटो को आम रूस से यूरोप को बचाने का माध्यम कह सकते हैं। जिस समय इसका गठन किया गया था, उस समय इसका एकमात्र लक्ष्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में रूस के विस्तार को रोकना था। साल 1991 में सोवियत संघ का पतन हुआ तो कुछ पूर्वी यूरोपियन देश जो वॉरसॉ संधि में रूस के साथी थे, उन्हें भी नाटो की सदस्यता मिल गई।ए
NATO में कुल कितने देश -Total how many countries in NATO
What are the 30 countries that are in NATO ? इस समय नाटो में कुल 32 देश हैं और इसका मैन हेडक्वार्टर ब्रसेल्स में है। सदस्य देशों में तुर्की भी अहम देश है। 6 फरवरी 2019 का मैसिडोनिया इसका नया सदस्य देश बना था। रूस हमेशा से यह कहता आया है कि इन देशों को नाटो की स्वीकार्यता मिलना उसकी सुरक्षा के लिए खतरा है। इसलिए उसने हमेशा यूक्रेन की सदस्यता का विरोधऔर अपमान किया है। रूस को डर है कि अगर यूक्रेन ने नाटो की सदस्यता ले ली तो फिर वह उसकी सीमा पर कब्जा कर लेगा। जिनकी लिस्ट निचे दी गयो है –
- Albania
- Belgium
- Bulgaria
- Canada
- Croatia
- Czech Republic
- Denmark
- Estonia
- Finland
- France
- Germany
- Greece
- Hungary
- Iceland
- Italy
- Latvia
- Lithuania
- Luxembourg
- Montenegro
- Netherlands
- North Macedonia
- Norway
- Poland
- Portugal
- Romania
- Slovakia
- Slovenia
- Spain
- Sweden
- Turkey
- United Kingdom
- United States
क्यों यूक्रेन नहीं पहुंचे नाटो सैनिक / Why NATO troops did not reach Ukraine
नाटो के देश भले ही यूक्रेन को हथियार मुहैया करा रहे हैं लेकिन उनके सैनिक अभी तक यूक्रेनी सीमा में दाखिल नहीं हुए हैं। इसकी वजह संगठन का वह चार्टर है जो ऐसा करने से रोकता है। नाटो के चार्टर आर्टिकल 5 के तहत हमले के समय सदस्य देशों की सुरक्षा के लिए देश आएंगे। यूक्रेन अभी तक इस संगठन का हिस्सा नहीं है और इस वजह से ही नाटो के सदस्य देश के सैनिक उसकी तरफ से युद्ध में शामिल नहीं हैं।
अमेरिका की चिंता – America’s concern
अमेरिका, नाटो संगठन में अग्रणी देश है। इसे डर है कि अगर नाटो के सैनिक यूक्रेन पहुंचे और रूस के विरुद्ध लड़ाई करेंगे तो फिर स्थिति एक विशाल युद्ध में तब्दील हो जाएगी और यह विश्व के लिए सही नहीं होगा। इसी वजह से ही नाटो के देशों ने यूक्रेन में नो-फ्लाई जोन में ऑपरेट करने से मना कर दिया था।
पूर्वी यूरोप में इस समय नाटो के 40,000 सैनिक मौजूद हैं। ये सैनिक लिथुआनिया और पोलैंड में हैं। जबकि 30,000 सैनिक हाई अलर्ट पर मोजूद हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कह चुके हैं यूक्रेन में मौजूद मिलिट्री यूनिट्स पश्चिमी सलाहकारों के प्रभाव में हैं। यूक्रेन की मिलिट्री यूनिट्स में विदेशी सैनिकों के होने की बातें कई बार कही गई हैं लेकिन कभी इन बातों को साबित करने के लिए कोई सुबूत नहीं दिया जा सका है।
चार्टर 4 के तहत किसी दूसरे देश या आतंकी संगठन से खतरा होने की स्थिति में अगर कोई भी सदस्य देश चाहता है तो गठबंधन की तरफ से वार्ता शुरू की जा सकती है। पिछली बार आर्टिकल चार को उस समय पोलैंड और बाल्टिक देशों ने फरवरी में उस समय सक्रिय किया जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया था। पोलैंड अब एक बार फिर से ऐसा कर सकता है। 15 नवंबर को उसकी सीमा पर गिरी मिसाइल में दो नागरिकों की मौत ने उसकी चिंता बढ़ा दी हैं।
यूक्रेन की कोशिश – Ukraine’s Effort
साल 2008 में नाटो देशों ने यूक्रेन को बोला था कि वह भविष्य में इसका हिस्सा बन सकता है। हालांकि कोई समयसीमा इसके लिए तय नहीं की गई थी। साल 2014 में जब से रूस ने क्रीमिया को नाटो से अलग किया गया है तब से ही यूक्रेन ने नाटो में शामिल होना अपनी प्राथमिकता में शामिल कर लिया है। हाल में उसने अनुरोध किया है कि इस प्रक्रिया में तेजी लाई जाए और उसे सदस्यता दी जाए। मगर अमेरिका और नाटो के महासचिव ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान हालातों में यूक्रेन को पूर्ण सदस्यता देना मुमकिन नहीं है।
स्वीडन- फिनलैंड की ख्वाहिश – Sweden – Finland’s dream
यूक्रेन के अलावा स्वीडन और फिनलैंड ने भी नाटो की सदस्यता के लिए निवेदन कर दिया है। दोनों देशों ने रूस के हमले के बाद यह कदम उठाया है। फिनलैंड करीब 1340 किलोमीटर की सीमा रूस के साथ साझा करता है। सभी नाटो सदस्य देशों ने दोनों देशों को संगठन का हिस्सा बनने की पुष्टि कर दी है। सिर्फ तुर्की और हंगरी ऐसे देश हैं जिन्होंने अभी तक चुप्पी बाँध रखी है।
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