Chandrayaan 3 के जीवंत अपडेट: चंद्रयान-3 / Live updates of Chandrayaan-3
चंद्रयान-3 14-07-2023 को दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग किया । अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। वहीं, पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि आज का दिन सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘जहां तक भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र (Space Area) का सवाल है, तो 14 जुलाई 2023 का दिन हमेशा सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा। चंद्रयान-3 हमारा तीसरा चंद्र मिशन (Lunar Mission), अपनी यात्रा पर निकल चूका है। यह उल्लेखनीय मिशन हमारे राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा।
अनुपम खेर ने इसरो को दीं शुभकामनाएं / Anupam Kher best wishes to ISRO.
भारत पूरी तरह से चंद्रमा पर अपने तीसरे मिशन के लिए तैयार है, ट्विटर पर अनुपम खेर ने इसरो को टैग किया। हमारे इसरो वैज्ञानिकों को चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के लिए शुभकामनाएं। हमारा झंडा ऊंचा रहेगा। जय भारत!
चंद्रयान-3 में गोदरेज एयरोस्पेस का प्रमुख योगदान / Major contribution of Godrej Aerospace in Chandrayan-3.
चंद्रयान-3 में गोदरेज एयरोस्पेस (Godrej Aerospace) का भी महत्वपूर्ण योगदान है। चंद्रयान-3 को ले जाने वाले रॉकेट के दूसरे चरण के दो इंजन गोदरेज एयरोस्पेस ने बनाए हैं। गोदरेज एयरोस्पेस के एसोसिएट वाइस प्रेसीडेंट (Associates vise President) और बिजनेस हेड मानेक बहरामकामदिन (Business head Maneck Behramkamdin) ने बताया, चंद्रयान-3 एक बहुत ही प्रतिष्ठित मिशन (Prestigious Mission) है, गोदरेज ने दो इंजनों के लिए हार्डवेयर में योगदान दिया है, जो दूसरे चरण के इंजन हैं।
चंद्रयान के लिक्विड इंजन में ईंधन भरने का काम पूरा / Filling of fuel in Chandrayaan’s liquid engine completed
इसरो ने बताया कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) में मिशन चंद्रयान-3 की उलटी गिनती जारी है। एल-110 चरण ((लिक्विड इंजन)) में प्रणोदक भरने का काम पूरा हो गया है। इसरो का कहना है कि सी-25 चरण क्रॉयोजनिक इंजन (C-25 Stage Cryogenic Engine) में प्रणोदक भरना शुरू हो रहा है।
कौन हैं वीरमुथुवेल? / Who is Veera Muthuvel
तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के एक परिवार से नाता रखने वाले वाले वीरमुथुवेल प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मद्रास) Indian Institute of Technology के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने पीएचडी भी कर रखी है। चंद्र मिशन के परियोजना निदेशक के रूप में वीरमुथुवेल ने वनिता का स्थान लिया है, जो तत्कालीन इसरो प्रमुख के सिवन के नेतृत्व में चलाए गए चंद्रयान -2 मिशन की परियोजना निदेशक थीं। वनिता इसरो के इतिहास में इस पद काबिज हुई पहली महिला थीं। पहले चंद्रयान मिशन का नेतृत्व करने के बाद मयिलसामी अन्नादुरई को ‘मून मैन ऑफ इंडिया’ (Moon man of India ) की पदवी दी गई। वह भी तमिलनाडु से नाता रखते थे। दिलचस्प तथ्य यह है कि पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्होंने भारत के रॉकेट कार्यक्रम का नेतृत्व किया, वह भी तमिलनाडु के रामेश्वरम से थे।
च्रंद्रयान का तमिलनाडु से अनोखा नाता / Chadrayaan has a unique relationship with Tamil Nadu
वर्ष 2008 में पहले चंद्र मिशन के साथ शुरू हुई चंद्रयान श्रृंखला के बारे में एक अनोखी समानता उसका तमिलनाडु से संबंध है। तमिलनाडु में जन्मे मयिलसामी अन्नादुरई और एम वनिता के चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 का नेतृत्व करने के बाद, अब विल्लुपुरम के मूल निवासी पी वीरमुथुवेल तीसरे मिशन की निगरानी कर रहे हैं। वीरमुथुवेल (46) वर्तमान में सोमनाथ के नेतृत्व में चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक हैं। एस सोमनाथ की अध्यक्षता में इसरो का मकसद उन विशिष्ट देशों की सूची में शामिल होना है, जिन्होंने चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में महारत हासिल कर ली है|
चंद्रयान-3 लॉन्चपैड पर अनूठी पुस्तक का हुआ विमोचन / Unique book released on Chandrayaan 3 launch pad.
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता और लेखक विनोद मनकारा की नई किताब श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में रॉकेट लॉन्चपैड से जारी की गई। विज्ञान लेखों के संग्रह ‘प्रिज्म: द एनसेस्ट्रल एबोड ऑफ रेनबो’ / Prism: The Ancestral Abode of Rainbow का अनोखा लॉन्च कार्यक्रम गुरुवार शाम एसडीएससी-शार (SDSC-SHAR ) में आयोजित किया गया।जहां देश के बहुप्रतीक्षित चंद्रमा मिशन चंद्रयान -3 के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही थीं। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पुस्तक को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर को सौंपकर जारी किया।
चंद्रयान-3 के साथ नहीं जाएगा ऑर्बिटर/ Orbiter will not go with Chandrayaan-3
चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में भी लैंडर और रोवर भेजा जाएगा, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले मून मिशन का ऑर्बिटर अभी भी अंतरिक्ष में काम कर रहा है।
चांद पर लैंडिंग में हो सकता है बदलाव / There can be a change in landing on the Moon.
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को तय की गई है, लेकिन वहां सूर्योदय की स्थिति को देखते हुए इसमें बदलाव हो सकता है। अगर सूर्योदय में देरी होती है तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ाकर इसे सितंबर में कर सकता है।
क्या है चंद्रयान-3 मिशन? / What is Chandrayaan 3 Mission?
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। इसमें एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया है।
अंतरिक्ष क्षेत्र के कारोबार में बढ़ेगी भारत की हिस्सेदारी / India’s share in the space sector business will increase.
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने दावा किया है कि अगर चंद्रयान-3 सफलता से चंद्रमा पर उतरा तो भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र के कारोबार में हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा। इस समय 60 हजार करोड़ डॉलर के आंके जा रहे इस क्षेत्र में हमारा हिस्सा महज 2 प्रतिशत है। इसके आगे बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।
मिशन मुश्किल, लेकिन सफलता जरूरी / Mission difficult but success is necessary.
चंद्रयान-3 के हर तरह से सफल होने की अपेक्षा जताते हुए इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर ने कहा कि यह मिशन अंतरिक्ष अध्ययन क्षेत्र में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने माना कि चंद्रमा पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग बेहद मुश्किल व जटिल है। कहा मिशन की सफलता जरूरी है।
सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता साबित करेंगे / Will prove the ability of soft landing
भारत के मून-मैन व चंद्रयान-1 के मिशन डायरेक्टर डॉ. मायलस्वामी अन्नादुरई ने चंद्रयान-3 को बेहद अहम मिशन बताया। कहा, भारत ने चंद्रमा के परिक्रमा पथ को लेकर अपनी तकनीकी क्षमता साबित की है, अब सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता साबित करनी है। आज जब पूरी दुनिया फिर से चांद को देख रही है। हमें यह मिशन सफल बनाना ही होगा।
हमारे 14 दिन और चंद्रमा के एक दिन के बराबर काम करेगा मिशन / Our mission will work equal to 14 days and Moon’s one day
लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक दिन में 14 पृथ्वी दिवस के बराबर अपना काम व परीक्षण करेंगे। उल्लेखनीय है कि यह समय चंद्रमा के एक दिन के बराबर होगा। इसरो के पूर्व निदेशक के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारत के अगले प्रमुख मिशन गगनयान को हौसला देगी। उन्हीं के कार्यकाल में 2019 में चंद्रयान-2 मिशन भेजा गया था, जिसमें लैंडर को चंद्रमा पर उतारने में सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि इसरो ने इस विफलता की वजह बनी चीजों काे फिर से तैयार किया और उन्हें सुधारा। इस बार निश्चित ही सफलता मिलेगी। सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 के सामने पिछले मिशन जैसी ही चुनौतियां हैं, वहीं अंतरिक्ष में कई चीजें अज्ञात रहती हैं। लेकिन गलतियों से सीख लेकर हमने नया आत्मविश्वास पाया है। उम्मीद है कि इस बार मिली सफलता भावी पीढ़ियों के लिए फायदेमंद साबित होगी। मिशन में हुए परीक्षण न केवल चंद्रमा की सतह, बल्कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में भी वैज्ञानिक जानकारियां बढ़ाएंगे।
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