मुंबई का ताजमहल द गेट ऑफ़ इंडिया Mumbai’s Tajmahal The Gate Way Of India

इतिहास और परिचय The Gate Way Of India Introduction with History

भारत का द्वार “गेटवे ऑफ़ इंडिया” The Gate Way Of India हिंदुस्तान के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में स्थित है| भारत के सबसे लोकप्रिय धरोहरों में से एक गेटवे ऑफ इंडिया वर्ष 1924 में निर्मित हुआ था | वास्तुकला के हिंदू और मुस्लिम दोनों प्रकारों को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण सन 1911 में राजा की यात्रा के स्मरण निमित्त किया गया। ये जगह दुनिया भर से पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है और देश के प्रमुख बंदरगाहों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करती है | यह भव्‍य स्‍मारक रात के समय देखने योग्‍य होता है जब इसकी विशाल भव्‍यता समुद्र की पृष्‍ठभूमि में दिखाई देती है। इसमें प्रतिवर्ष दुनिया भर के लाखों लोग आते हैं और यह मुम्‍बई के लोगों की ज़िंदगी का एक महत्‍वपूर्ण स्‍थान है, क्‍योंकि यह शहर की संस्‍कृति को परिभाषित करता है, जो ऐतिहासिक और आधुनिक सांस्‍कृतिक परिवेश का अनोखा संगम है

निर्माण काल Construction of The Gate Way Of India

गेटवे ऑफ़ इंडिया की आधारशिला बम्‍बई (मुम्‍बई) के राज्‍य पाल द्वारा 31 मार्च 1913 को रखी गई थी। गेटवे ऑफ़ इंडिया 26 मीटर ऊंचा है और इसमें 4 मीनारें हैं और पत्‍थरों पर खोदी गई बारीक चित्रकारी बनाई है। इसका केवल गुम्‍बद निर्मित करने में 21 लाख रु. का खर्च आया था। यह भारतीय – सार्सैनिक शैली में निर्मित भवन है, जबकि इसकी कलाकृति में गुजराती शैली का भी कुछ प्रभाव दिखाई देता है। यह संरचना अपने आप में ही अत्‍यंत मनभावक और पेरिस में स्थित आर्क डी ट्रायम्‍फ की प्रतिकृति है।

वास्तुकार Architect

भारत का द्वार “गेटवे ऑफ़ इंडिया” अब मुम्‍बई शहर का शान बन गया है। यह मुम्‍बई का सबसे अधिक प्रसिद्ध स्‍मारक है और यह शहर में पर्यटन की दृष्टि से आने वाले अधिकांश लोगों का आरंभिक बिन्‍दु है। गेटवे ऑफ़ इंडिया एक महान् ऐतिहासिक स्‍मारक है, जिसे देश में ब्रिटिश राज के दौरान निर्मित कराया गया था। यह पंचम किंग जॉर्ज (King George) और महारानी मेरी (Queen Mary) के मुम्‍बई में आने के अवसर पर उन्‍हें सम्‍मानित करने के लिए बनाया गया विशाल स्‍मारक था। गेटवे ऑफ़ इंडिया का निर्माण अपोलो बंदर पर कराया गया था जो मेल जोल का एक लोकप्रिय स्‍थान है। इसे ब्रिटिश वास्‍तुकार जॉर्ज विटेट ने डिज़ाइन किया था।

भारत का द्वार “गेटवे ऑफ़ इंडिया” का इतिहास (Gate of India’s History)

  • गेटवे ऑफ इंडिया वर्ष 1924 में निर्मित हुआ था और ये मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है. ये जगह दुनिया भर से पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है।
  • गेटवे ऑफ इंडिया देश के प्रमुख बंदरगाहों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करती है।
  • गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण में भारत सरकार द्वारा नकद निवेश लगभग 21 लाख की राशि का हुआ था और आज की स्थिति के अनुसार ये जगह कई फोटोग्राफरों, विक्रेताओं और खाद्य विक्रेताओं को व्यवसाय के लिए एक ठेका मिल गयी है. ये जगह हमेशा पर्यटकों और सामान्य भीड़ से भरी होती है।
  • इसकी संरचना के निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य किंग जॉर्ज पंचम और बंबई के रानी मैरी की यात्रा को स्वीकार करना था |
  • इसका निर्माण असल में 1915 में शुरू हुआ. गेटवे ऑफ इंडिया की नींव 31 मार्च, 1911 को बंबई के राज्यपालसर जॉर्ज सिडेनहैम क्लार्क ने रखी थी | जॉर्ज विट्टेट ने 31 मार्च, 1914 को अंतिम डिजाइन पर मंजूरी दी थी |
  • गेटवे ऑफ इंडिया पीले बेसाल्ट और कंक्रीट से बनाया गया था | गेटवे ऑफ इंडिया की नींव का काम 1920 में पूरा किया गया था और निर्माण 1924 में समाप्त हो गया था | गेटवे ऑफ इंडिया 4 दिसंबर, 1924 को वायसराय द्वारा खोला गया था |
  • 4 दिसंबर 1924 को वायसराय, अर्ल द्वारा उद्घाटन किया गया था | गेटवे के चार बुर्ज है और इसको जटिल जाली के साथ बनाया गया था | छत्रपति शिवाजी और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाए गेटवे पर बाद में स्थापित की गयी थी |

 


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