इंजीनियरिंग करने के बाद भी आखिर भारत में क्यों नहीं मिल रही नौकरी? Why I am not getting job in India even after doing engineering?
कुछ चुनिंदा जगहों को छोड़कर निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स को भविष्य के बारे/ About the future में सोचकर नींद ही नहीं आती| कर्ज लेकर, ज़मीन बेचकर या गिरवी रखकर अपने बच्चों को इंजीनियरिंग के कोर्स में एडमिशन करवाने वाले माँ-बाप/ Admission parents भी नहीं जानते कि उनका सपना पूरा होगा या नहीं/ will the dream come true or not| आज इंजीनियरिंग डिग्री ले चुके ढेर सारे छात्र बेरोज़गार/ Student unemployed हैं| 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार 3.5 लाख से 4 लाख इंजीनियर प्रति वर्ष पास आउट होते हैं| ऑर्गनाइज्ड रिक्रूटमेंट के आंकड़े बताते हैं कि इनमें से करीबन 1.5 लाख को जॉब मिल/ Get job जाता है और बचे हुए इंजीनियरों को एक साल बाद जॉब मिल जाता है| बाक़ी या तो फील्ड बदल लेते/ Change the field हैं या फिर जॉब ढूंढते रहते/ Looking for a job हैं|
निराश हैं इंजीनियर / The engineers are disappointed
नौकरी न मिल पाने से हताश इंजीनियरों ने या तो अपना रास्ता बदल ली या फिर वह काम चुन लिया जिसका इंजीनियरिंग डिग्री से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं था| मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद अब बैंक पीओ की तैयारी कर रहे मध्य प्रदेश के स्टूडेंट बताते हैं| इंजीनियरिंग में नौकरी सिर्फ टॉपर को ही मिलती है| समान्य छात्रों को काफी मेहनत करनी पड़ता है| मेरी तरह मेरे कई साथी भी अब दूसरे क्षेत्रों में भाग्य आजमा रहे हैं| बीई इलेक्ट्रॉनिक्स कर चुके भोपाल के स्टूडेंट ने डिग्री पूरी करने के बाद करीबन प्रति दिन कई कंपनियों में ई-मेल से जॉब के लिए अप्लाई किया| बहुत-सी कंपनियों ने तो जवाब ही नहीं दिया| कुछ ने मेल का जवाब दिया पर वह नकारात्मक ही रह|
मार्गदर्शन नहीं / No guidance
काफी स्टूडेंट मानते हैं की उन्होंने इंजीनियरिंग में एडमिशन इसलिए लिया कि नाम के साथ इंजीनियर लगाना अच्छा लगता था| पर अब वे सोचते हैं कि इस तरह के फैसले लेने से पहले किसी जानकार से सलाह लेनी चाहिए थी| एक स्टूडेंट कहते हैं कि मार्गदर्शन के अभाव या भेड़चाल की वजह से अक्सर ऐसे स्टूडेंट, जिनकी रुचि नहीं होती, वे भी इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लेते हैं| ये डिग्री तो पूरी कर लेते हैं, लेकिन इन्हें रोज़गार नहीं मिल पाता| बाद में कुछ कम्प्यूटर ऑपरेटर बन जाते हैं तो कुछ कॉल सेंटर या रीटेल सेक्टर में काम करने लगते हैं| यदि इन्हें कोर्स चुनाव के समय ही मार्गदर्शन मिल जाता तो इस स्थिति से बचा जा सकता है|
मौजूदा हालत / Current condition
इंजीनियरों को जॉब मिलने के प्रतिशत में लगातार कमी आई है| 2009-10 में डिग्री पूरी करने के बाद 60 प्रतिशत इंजीनियर जॉब पाते थे| यह आकंड़ा लगातार नीचे आया है| वर्तमान में केवल 30 से 35 प्रतिशत इंजीनियर ही उसी साल नौकरी में आ पाते हैं, बाक़ियों को लम्बी मेहनत करनी पड़ती है| इंडस्ट्री के लिए रिक्रूटमेंट करने वाली कंसल्टिंग फर्म रंगरूट डॉट कॉम के डायरेक्टर (एचआर) योगेश शर्मा कहते हैं, इंजीनियरों की बाढ़ को देखते हुए कंपनियों ने अपना रिक्रूटमेंट पैटर्न बदला है|
बीई की जगह बीएससी / BSC instead of BE
कंपनियां बीई के बजाए बीएससी को तरजीह देने लगी हैं, जिससे इंजीनियरों के बेरोजगार रह जाने के आंकड़े में बढ़ोतरी हुई है| इसका कारण बताते हुए योगेश कहते हैं, कंपनियों की सोच है कि बीएससी पास 15 से 20 हज़ार रुपए में खुशी-खुशी अपने करियर की शुरुआत करता है| लेकिन इंजीनियर शुरुआत से ही बिना परफॉर्म किए अपनी ग्रोथ, इंक्रिमेंट की बातें करते हैं| इसके अलावा अनुभव लेने के बाद इंजीनियर के जॉब स्विच करने की प्रबल संभावना होती है|
क्या करें? What to do?
इंदौर के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई करने वाली स्टूडेंट कहती हैं, डिग्री पूरी करने के बाद जब इंटरव्यू दिया तो पता चला कहां दिक्कत आ रही है| केवल डिग्री से नौकरी मिलना मुश्किल है| अनुराधा कम्युनिकेशन स्किल्स की क्लास करने लगीं और आत्मविश्वास बढ़ाया| इंटरव्यू के लिए रिसर्च की. सब्जेक्ट के नोट्स बनाए और नतीजा पहले से बेहतर रहा और अब उन्हें एक ठीक-ठाक जॉब मिल ही गई है| ऐसी ही स्टूडेंट की बातों से समझा जा सकता है कि डिग्री पूरी करने के बाद भी अगर कुछ कमी है तो उसे दूर किया जा सकता है| और थोड़े वक्त में ही अपनी स्किल डेवेलपमेंट से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं|
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