CAA, NRC और NPR क्या हैं ? What is NRC-National Citizen Register ?
What is NRC-National Citizen Register? राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर क्या हैं
सम्पूर्ण भारत देश का राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर National Citizen Register भारत सरकार Government of India द्वारा बनाया गया एक रजिस्टर है। जो की वर्ष 1951 में तैयार किया गया था। जिसमें भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो असम के मूल निवासी (वैध) हैं। यह विशेष रूप से असम के लिए बनाया गया था। लेकिन 20 नवंबर 2019 को, भारत के गृह मंत्री अमित शाह Amit Shah ने संसद Parliament of India में एक बयान दिया कि इस रजिस्टर का पूरे भारत में विस्तार किया जाएगा। और कहा की जो लोग बांग्लादेश Bangladesh बनने से पहले (25 मार्च 1971 से पहले) असम आ चुके हैं, केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जाएगा। जिसके बाद पुरे भारत में जगह जगह पर लोगो द्वारा इसका विरोध और दंगे भी किये गये |
National Citizen Register को लेकर पहले भी 1979 में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (All Assam Student Union – AASU) द्वारा विरोध किया गया हैं 1951 के बाद दिसंबर 2012 में असम में बांग्लादेशियों की बढ़ती आबादी को देखते हुए नागरिक सत्यापन Nationality Verification की प्रक्रिया शुरू हुई। असम राज्य के लिए मई 2015 में आवेदन आमंत्रित किए गए थे | उसके बाद 31 दिसंबर 2017 को असम सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ National Citizen Register के ढ़ांचे की पहली छपाई जारी की गयी |
एनआरसी से जुड़ी ये पांच बातें पता हैं आपको?
देश की संसद में सिटिजनशिप एमेंडमेंट बिल (नागरिकता संशोधन विधेयक) पास होते ही NRC या नागरिकता रजिस्टर की चर्चा शुरू हो गयी थी. खास तौर पर देश के विपक्षी दलों में एनआरसी के मसले पर काफी चिंताएं देखी गयी थी. लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मानकर चलिए NRC आने वाला है. इस वक्त सिर्फ असम में एनआरसी की प्रक्रिया चल रही है. एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बताता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं. जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं हैं, वह अवैध नागरिक कहलाए जाएंगे. एनआरसी के हिसाब से 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.
गृह मंत्री ने साफ कहा कि मोदी सरकार देश में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) लेकर जरूर आएगी और जब एनआरसी की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो देश में एक भी अवैध घुसपैठिया नहीं रह जाएगा. आज हम आपको एनआरसी से जुड़ी पांच महत्वपूर्ण बातें बता रहे हैं
क्या है एनआरसी?
एनआरसी National Citizen Register का मतलब राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर है. NRC के जरिये भारत में अवैध घुसपैठियों की पहचान की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूर्वोत्तर का गेटवे कहे जाने वाले असम में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू हुई और भारत में अवैध रूप से घुसने वाले लोगों की पहचान की जा रही है. इस समय एनआरसी की प्रक्रिया राज्य के हिसाब से चल रही है. इसकी शुरुआत से ही देश भर में एनआरसी लागू करने की मांग की जा रही है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि एनआरसी की मदद से भारत में अवैध रूप से घुसे लोगों की पहचान की जाएगी और उन्हें बाहर निकाला जायेगा.
एनआरसी से किसे होगा नुकसान? सबसे पहले यह जान लीजिये कि अभी एनआरसी एक प्रस्ताव के रूप में ही है. नागरिकता संशोधन कानून 2019 के आने के बाद भारत में अवैध रूप से आने वाले हिंदू, सिख, इसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को एनआरसी से भी दिक्कत नहीं होगी. अगर उनके पास वैध दस्तावेज नहीं हुए तब भी उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी. इसके लिए उन्हें बस यह कहना होगा कि वे पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीडन की वजह से आये हैं. इस प्रावधान से वास्तव में इन तीनों पड़ोसी देशों से आने वाले मुस्लिमों को दिक्कत हो सकती है. अगर एनआरसी पूरे देश में लागू हो जाता है तो नागरिकता संशोधन कानून 2019 के हिसाब से अवैध रूप से भारत में आये मुसलमानों को दिक्कत हो सकती है.
जो एनआरसी NRC में शामिल नहीं हुए उनका क्या होगा?
अगर देश भर में एनआरसी लागू किया जाता है तो जिन लोगों की पहचान अवैध घुसपैठियों के रूप में की जाएगी उन्हें गिरफ्तार किया जायेगा. इसके बाद वे बड़े डिटेंशन सेंटर में रखे जायेंगे. कुछ ऐसा ही असम में होने जा रहा है. इसके बाद विदेश मंत्रालय संबंधित देश से बातचीत करेगा.
अगर नागरिकों की पहचान के पुख्ता सबूत हुए और उनका देश उन्हें स्वीकार करता है तो वे वापस भेज दिए जायेंगे. बीजेपी प्रमुख और देश के गृह मंत्री अमित शाह देश भर में एनआरसी लागू करने की बात कह रहे हैं.
क्या पूरे देश में लागू हो जाएगा एनआरसी?
बीजेपी से तकरीबन सभी बड़े नेता देश भर में एनआरसी लागू करने की बात कह चुके हैं. इनमें हरियाणा के सीम मनोहर लाल खट्टर, पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आदि शामिल हैं. सांस्कृतिक संगठन आरएसएस ने भी पूरे देश में एनआरसी लागू करने की बात कही है. मौजूदा केंद्र सरकार ने जिस तरह जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद नागरिकता संशोधन कानून 2019 पर पहल की है, उसे देखते हुए देशभर में एनआरसी लागू करना कोई मुश्किल काम नहीं है.
एनआरसी के लिए कौन से दस्तावेज चाहिए?
अगर आप खुद को भारत का नागरिक सिद्ध करना चाहते हैं तो आपके पास 1951 से पहले के दस्तावेज होने चाहिए. एनआरसी लागू होने के बाद आपके पास 1951 से पहले का निवास प्रमाण, भूमि संबंधी कागजात और किरायेदार रिकॉर्ड, पासपोर्ट, एलआईसी पॉलिसी और एजुकेशनल सर्टिफिकेट आदि की जरूरत है.
असम में नागरिकता साबित करने के लिए मांगे गए दस्तावेज इस तरह हैं:
- 25 मार्च 1971 तक इलेक्ट्रोल रोल
- 1951 का एनआरसी
- किरायेदारी के रिकॉर्ड
- सिटीजनशिप सर्टिफिकेट
- रेजिडेंट सर्टिफिकेट
- पासपोर्ट बैंक और बीमा दस्तावेज
- परमानेंट रेजिडेंट सर्टिफिकेट
- एजुकेशन सर्टिफिकेट या कोर्ट ऑर्डर रिकॉर्ड
- रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
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