भारत में प्रॉपर्टी में किसके क्या अधिकार है ? Who has the right to property in India ?

आप क्या जानेंगे -

हिंदुस्तान में परिवार की अवधारणा (Family concept) बड़ा मजबूत है | किसी शख्स की मौत के बाद, उसके उत्तराधिकारी को कानूनी रूप से संपत्ति के साथ-साथ अन्य अधिकार और दायित्वों का स्वामित्व मिल जाता है | हालांकि, देश की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति (Secular nature) और आबादी को देखते हुए विरासत और उत्तराधिकार स्थापित (Established) करने वाले नियमों (The rules) का दस्तावेजीकरण (Documentation) करना जरूरी था | इस आर्टिकल में हम आपको भारत में विरासत, उत्तराधिकारी और भारत में उनके प्रॉपर्टी में अधिकारों के बारे में बताएंगे |

कौन होता है उत्तराधिकारी? Who is the successor?

भारतीय न्यायालयों में लंबित (Pending in courts) सभी मामलों में से कम से कम दो-तिहाई संपत्ति या संबंधित धोखाधड़ी (Fraud) से जुड़े हैं | संपत्ति की बात आते ही परिवार के झगड़ों (Family feud) का कोई अंत नहीं है | हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट (SC) ने फैसला सुनाया कि संपत्ति का मालिकाना (Proprietary) हक एक मानव अधिकार (human right) है | संविधान अधिनियम, 1978 में संशोधन के द्वारा, संपत्ति का अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं रह गया है, लेकिन कल्याणकारी (Welfare) राज्य संपत्ति स्वामित्व (Ownership) अधिकार में यह अभी भी एक मानव अधिकार है और कोई भी एक मजबूत आधार के बिना दूसरे से इसे छीन नहीं सकता है | आइए हम हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के मुताबिक (According to) भारतीय लोगों के संपत्ति अधिकारों के बारे में आपको बताते हैं | कम शब्दों में कहें तो, उत्तराधिकारी एक ऐसा शख्स है जो अपने पूर्वजों की संपत्ति (Ancestral property) का उत्तराधिकारी बनना चाहता है, जो एक वसीयत छोड़े मर गया है | उत्तराधिकारी पुरुष या महिला में से कोई भी हो सकता है | उत्तराधिकारी अहम हो जाता है, क्योंकि किसी शख्स की मौत के बाद संपत्ति उत्तराधिकार और अन्य दावों से संबंधित मामलों को वारिस द्वारा उठाए जाने की जरूरत होगी |

क्या होती है विरासत? What is heritage?

उत्तराधिकार शब्द का इस्तेमाल (Used) विशेष रूप (Special form) से उत्तराधिकार के संदर्भ में किया जाता है | एक शख्स की मौत पर उसकी संपत्ति, टाइटल, लोन और दायित्व (Responsibility) वारिस के सकते हैं l लेकिन विभिन्न सोसाइटीज विरासत को लेकर अलग-अलग व्यवहार (The behavior) करते हैं l वास्तविक (actual) और अचल संपत्ति को (To real estate) अक्सर विरासत के रूप (form) में माना जाता है |

क्या है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम?  What is Hindu Succession Act?

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) सभी हिंदुओं, बौद्धों, जैन और सिखों पर लागू होता है | ये उन पर भी लागू होता है, जो इनमें से किसी भी धर्म में कन्वर्ट हुए हैं या फिर मां-बाप की शादी (wedding) के बिना पैदा हुए हैं | हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम भारतीय मुस्लिमों और ईसाइयों पर लागू नहीं होता क्योंकि संपत्ति उनके कानूनी उत्तराधिकारियों (Heirs) को विरासत में कैसे मिलेगी, इसके लिए उनके निजी (Private) कानून हैं| इस आर्टिकल में हम उन सभी के प्रॉपर्टी अधिकारों (Act) के बारे में बात करेंगे, जिन पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होता है | हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम तब सवालों (The questions) में आता है, जब किसी हिंदू की बिना वसीयत (the legacy) छोड़े ही मौत हो जाती है | इसके बाद उत्तराधिकार कानून के नियमों पर ही निर्भर (Dependent) करता है | एक हिंदू शख्स की मौत के मामले में, उसकी संपत्ति निम्नलिखित (written below) और इस वरीयता क्रम (Order) में जाती है | नीचे दिए गए चार्ट में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार सही उत्तराधिकारी बताया गया है |

  • शेड्यूल के मुताबिक क्लास-I उत्तराधिकारी|
  • अगर कोई क्लास-I उत्तराधिकारी नहीं हैं तो क्लास-II रिश्तेदार (Relative)|
  • क्लास-II उत्तराधिकारी न हों तो ये मृतक (dead) के सगोत्रों (Agnates) के पास चली जाती है|
  • अगर कोई सगोत्र (Monogamy) नहीं हैं तो प्रॉपर्टी सजातीयों (Cognates) के पास चली जाती है|

बेटे की प्रॉपर्टी में मां के अधिकार Mother’s rights in son’s property

एक मां अपने मृत बेटे की संपत्ति की कानूनी वारिस होती है l इसलिए, अगर कोई शख्स अपनी मां, पत्नी और बच्चों को छोड़कर (Excluding) गुजर गया है, तो उसकी संपत्ति पर सभी का समान अधिकार होता है l ध्यान दें (pay attention) कि अगर मां बिना वसीयत बनाए गुजर जाती है, तो उसके बेटे की संपत्ति में उसका हिस्सा उसके कानूनी उत्तराधिकारियों के पास चला जाएगा, जिसमें अन्य बच्चे भी शामिल (Include) हैं |

बेटियों के प्रॉपर्टी में अधिकार Rights in daughters property

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (HSA) में साल 2005 में संशोधन किया गया था | इसमें प्रॉपर्टी के मामले में बेटियों को बराबर का अधिकार (Equal rights to daughters) दिया गया था | 2005 से पहले केवल बेटों को ही दिवंगत (Departed) पिता की प्रॉपर्टी में अधिकार मिलता था | जबकि बेटियों को सिर्फ कुंवारी (Only virgin) रहने तक ऐसा माना जाता था कि शादी के बाद महिला अपने पति की संपत्ति (The wealth of her husband) से जुड़ जाती है और उस संपत्ति में उसका अधिकार हो जाता है | अब शादीशुदा और गैरशादीशुदा (Unmarried) बेटियों का अपने पिता की संपत्ति में भाइयों के बराबर ही अधिकार है | वे भी अपने भाइयों (The brothers) की तरह समान कर्तव्यों (Duties), देनदारियों (Liabilities) की हकदार (Entitled to) हैं | 2005 में, यह भी फैसला सुनाया गया कि एक बेटी के पास समान अधिकार हैं बशर्ते (Provided) 9 सितंबर 2005 को पिता और बेटी दोनों जीवित हों | 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बेटी अपने मृत पिता की संपत्ति (Deceased father’s property) को विरासत में हासिल कर सकती है, भले ही पिता इस तारीख पर जीवित था या नहीं | यहां, महिलाओं को सहदायिक (Communal) के रूप में भी स्वीकार किया गया था l वे पिता की संपत्ति में हिस्सा मांग (Share demand) सकती हैं |

गोद लिए हुए बच्चों के प्रॉपर्टी में अधिकार Rights in the property of adopted children

गोद लिया हुआ बच्चा भी क्लास -I उत्तराधिकारी होता है और उसे भी वही सारे अधिकार मिलते हैं, जो एक जैविक बच्चे को मिलते हैं | अगर पिता को किसी अपराध (Crime) के कारण प्रॉपर्टी के उत्तराधिकारी होने से अयोग्य घोषित (Declared) कर दिया गया था तो एक गोद लिया बच्चा अपने दत्तक (Adoption) पिता की संपत्ति के लिए दावा नहीं कर सकता है | अगर पिता ने कोई और धर्म अपना लिया है और गोद लिया हुआ बच्चा भी उसी धर्म का पालन कर रहा है, तो भी इस मामले (cases) में, गोद लिया बच्चा पैतृक संपत्ति हासिल नहीं कर सकता है |

दूसरी पत्नी के प्रॉपर्टी में अधिकार Rights in property of second wife

दूसरी पत्नी के पास पति की संपत्ति में पूरा अधिकार (Full right in property होता है l बशर्ते पति की पहली पत्नी का फिर से शादी करने से पहले ही निधन या तलाक (Death or divorce) हो गया हो | उसके बच्चों का भी पिता के हिस्से में पहली पत्नी से हुए बच्चों की तरह समान अधिकार हैं | अगर दूसरी शादी कानूनी नहीं है तो न तो दूसरी पत्नी और न ही उसके बच्चों को पति की पैतृक संपत्ति (Ancestral property) में कानूनी हक मिलेगा |

धर्मांतरण का प्रॉपर्टी के अधिकारों पर प्रभाव Conversions effect on property rights

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के मुताबिक (According to the Hindu Succession Act) किसी शख्स ने अगर दूसरा धर्म (Second religion) अपना लिया है, तब भी वह प्रॉपर्टी विरासत में हासिल कर सकते हैं | अगर कोई शख्स अपना धर्म बदलता (Religion changes) है तो भारतीय कानून उसे प्रॉपर्टी विरासत में हासिल करने से रोकता नहीं है | जाति विकलांग निष्कासन (Expulsion) अधिनियम कहता है कि जिसने भी अपने धर्म का त्याग किया है, उसे प्रॉपर्टी विरासत में मिल सकती है. लेकिन कन्वर्ट होने वाले के वारिस (the heir) समान अधिकारों का फायदा नहीं उठा पाते (Can not take advantage) हैं | अगर बेटा या बेटी हिंदू धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म का पालन (Observance of other religion) करते हैं, तो उन्हें पैतृक संपत्ति विरासत में देने से अयोग्य ठहराया (Disqualified) जा सकता है|

मृतक पत्नी की प्रॉपर्टी में पुरुष के अधिकार Rights of male in the property of deceased wife

पत्नी के जीवित रहते हुए पति (Husband while wife is alive) के उसकी प्रॉपर्टी में कोई अधिकार नहीं होते | अगर पत्नी का देहांत (Wife’s death) हो जाता है तो प्रॉपर्टी शेयर पति और बच्चों में बंट जाएंगे | कोलकाता (Kolkata) के वकील देवज्योति बरमन कहते हैं, “अगर पत्नी को अपने जीवनकाल (Life span) में हिस्सा मिल जाता है तो पति विरासत (Heritage) में उसे हासिल (Obtain) कर सकता है | अगर उसे अपने जीवनकाल में अपने माता-पिता या पूर्वजों (ancestors) से विरासत में प्रॉपर्टी नहीं मिली है, तो पति यह दावा नहीं कर सकता है | अगर किसी शख्स (If someone) ने अपनी पत्नी के नाम पर अपने स्वयं के पैसों से संपत्ति (Property) खरीदी है, तो वह अपनी मौत के बाद भी स्वामित्व (Ownership) को बनाए रख सकता है |

सौतेले बच्चों के प्रॉपर्टी में अधिकार Rights in stepchildren property

सौतेले बच्चे (Half Blood children) वे होते हैं, जहां एक बच्चा दूसरी पत्नी/ साथी के साथ पिता से पैदा होता है और दूसरा बच्चा दूसरे पति/ साथी के साथ पत्नी से पैदा होता है | संक्षिप्त में (In short), जहां एक पैरेंट समान होता है (पुनर्विवाह या तलाक के मामले में) तो बच्चा उस व्यक्ति के करीब होता है, जिससे वह प्रॉपर्टी विरासत में पा रहा है | ऐसे में उसे ही तवज्जो (attention) दी जाएगी. उदाहरण के तौर पर अगर अभिषेक भावना से शादी करता है और चंदन अभिषेक की पहली पत्नी का बेटा है | देवेंद्र भावना के पहले पति का बेटा है तो अगर अभिषेक की प्रॉपर्टी का बंटवारा (Partition) होगा, तो तवज्जो चंदन को दी जाएगी |

लिव-इन कपल्स और उनके बच्चों के प्रॉपर्टी के अधिकार Property rights of live-in couples and their children

2015 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला (Decision) सुनाया (Narrated) कि लंबे समय तक घर में साथी की तरह रहने वाले जोड़ों को विवाहित माना जाएगा | भारत में कोई भी धर्म लिव-इन को कानूनी नहीं मानता (agrees) | लेकिन कानून कुछ राहत देता है | क्रिमिनल प्रोसिजर कोड के सेक्शन 125, के तहत, लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाएं (Women) कानूनी अधिकारों और गुजारा-भत्ता (Alimony) की हकदार हैं | लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे हिंदू विवाह अधिनियम (Act) धारा 16 के अनुसार माता-पिता की खुद कमाई हुई संपत्ति (Property) के भी हकदार (Entitled to) हैं | बच्चे भी गुजारा-भत्ता मांग (demand) सकते हैं | ध्यान दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वह ‘आया और गया’ वाले रिश्तों को लिव-इन रिलेशनशिप नहीं मानता | नियम तभी माने जाएंगे, जब दोनों पार्टनर्स लंबे समय से साथ (With long) रह रहे हैं |


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