पढ़ाई के साथ खेल कूद भी जरुरी है – Sports Is Also Important Along With Studies.
विद्यार्थी जीवन में पढऩा जरूरी है पर पढ़ाई के साथ साथ शारीरिक और मानसिक फिटनेस के लिए खेलना भी उतना ही जरूरी है।/ Studying is important in student life, but along with studies, playing is equally important for physical and mental fitness. खेलने से बच्चे हिट और फिट रहते हैं। टीवी, इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल पर समय गंवाने से बेहतर होता है बाहर दोस्तों के साथ आउटडोर गेम्स खेलना। कंप्यूटर का भी पढ़ाई में अधिक ज्ञान प्राप्त करने का अहम रोल होता है।/ Computer also has an important role in getting more knowledge in studies.अगर उसे बस ज्ञान बढ़ाने हेतु प्रयोग किया जाए बेकार की सर्फिंग, पिक्चर देखना समय और दिमाग को बर्बाद ही करता है। खेलने से बच्चों को कई लाभ होते हैं। There are many benefits to children from playing. उनके संपूर्ण विकास हेतु उनकी रूचि अनुसार उन्हें विशेष खेल का प्रशिक्षण दिलाया जाए तो बच्चे स्पोर्टस में अपना करियर तक बना सकते हैं। आइए जानें खेलने से क्या लाभ बच्चे उठा सकते हैं।
शारीरिक और मानसिक फिटनेस के लिए:-
For physical and mental fitness:-
कोई भी खेल खेलने के लिए बच्चों का शारीरिक विकास तो होता है, साथ ही मानसिक भी क्योंकि उन्हें हर समय सचेत रहना पड़ता है अपनी आंखों, दिमाग और शरीर के अंगों का समय पर प्रयोग जो करना होता है। जैसे चैस में दिमाग को हर समय एलर्ट रखना पड़ता है उसी प्रकार स्केटिंग करते हुए अपने शरीर को संतुलन में रखना जरूरी है।
बास्केट बाल, टेनिस, क्रि केट, हॉकी, फुटबाल जैसे खेलों में भी उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से अलर्ट रहना पड़ता है। इस प्रकार खिलाड़ी अपनी जिंदगी में भी हमेशा जागरूक रहते हैं।
बच्चे टीम भावना और समय की पाबंदी सीखते हैं:-
Kids learn team spirit and punctuality:-
स्पोटर्स में जाने से बच्चे अनुशासित बनते हैं, समय की वेल्यू समझते हैं और उनमें टीम भावना जागृत होती है। दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करना है, टीम में रहकर शेयर करना, जीत हार का अर्थ समझ आता है। टीम में छोटे बच्चे हैं उनसे प्यार करना और बड़ों के प्रति सम्मानपूर्वक व्यवहार करना सीखते हैं।
डिप्रेशन से दूर रहते हैं बच्चे:-
Children stay away from depression: –
नियमित खेलने वाले बच्चे अवसाद से दूर रहते हैं क्योंकि उनके पास फालतू बातों का समय नहीं होता क्योंकि खेल में व्यस्त रहते हैं । उनकी ऊर्जा को सही रास्ता खेलों द्वारा मिलता है।
धैर्य और अनुशासन सीखते हैं:-
Patience and discipline are learned: –
खेलने से बच्चों में धैर्य का विकास होता है। उन्हें पता होता है अपनी बारी आने पर ही खेलना है और वे अपनी बारी का इंतजार करते हैं। समय पर खेल के मैदान में जाना, अपनी टर्न पर खेलना, कोच की बात को ध्यान से सुनना आदि।
जीत का जज्बा:- Spirit of victory: –
खेल में बच्चे जब जीतते हैं उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। इस प्रकार जीतने की ललक उनमें बनी रहती है। प्रतियोगिता भावना का विकास होता है, जिससे आगे बढऩे की सोच में भी विकास होता है।
टीवी और मोबाइल से दूरी बढ़ती है:-
The distance from TV and mobile increases: –
अगर बच्चे खेलने के लिए नियमित बाहर जाते हैं तो उतना समय टीवी, मोबाइल से दूर रहते हैं जो उनकी आंखों और दिमाग दोनों के लिए बेहतर है। आजकल बच्चे बचपन से ही टीवी, मोबाइल कंप्यूटर से जुड़े रहते हैं। अगर आप बच्चों को इनसे दूर रखना चाहते हैं तो खेलने के लिए प्रोत्साहन करें।
बच्चों में स्फूर्ति बनी रहती है:- Enthusiasm remains in children: –
सुस्त बच्चों को स्फूर्तिवान बनाने में खेल का अहम रोल होता है। अगर आपके बच्चे सुस्त हैं तो उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त बने रहें।
खेल खेल में बन जाते हैं बड़े खिलाड़ी:-
Big players become in sports:-
कभी कभी बच्चे बचपन से किसी विशेष खेल में रूचि दिखाते हैं और उन्हें अवसर मिलता है तो कई बार वे बड़े होकर अच्छे खिलाड़ी सिद्ध होते हैं। माता पिता को चाहिए कि अपने बच्चों के शौक को पहचानें और उत्साहित कर उन्हें अवसर दें ताकि वह आने शौक को आगे बढ़ा सके और योग्य खिलाड़ी सिद्ध हो सकें।
– नीतू गुप्ता
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