फिल्मे कैसे बनती है – How Movies Are Made

हम सब फिल्म देखते हैं पर उसके बनाने की प्रक्रिया के बारे में कम लोग को ही पता है |/We all watch films but very few people know about the process of its making.फिल्म निर्माण में अलग अलग तरिके और तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है |फिल्म निर्माण में अलग-अलग डिपार्टमेंट होता है |/ There are different departments in film production. इस पोस्ट के माध्यम से ये जानेगे|सभी डिपार्टमेंट का अलग-अलग काम होता है | फिल्म निर्माण एक कला है इसी लिए सभी डायरेक्टर अपने तरिके से कहनी को कहते हैं / Film making is an art that’s why all directors tell their story in their own way. अपने तरिके से फिल्म का निर्माण करते हैं |तो चलिए फिल्ममेकिंग के लग अलग डिपार्टमेंट के बारे में डिटेल्स से जानते हैं |फिल्म निर्माण से पहले फिल्म के कुछ बेसिक तैयरी और डिसकस होती है |

फिल्म निर्माण के स्टेज  निम्न है |

  1. डेवलपमेंट
  2. प्री-प्रोडक्शन
  3. प्रोडक्शन
  4. पोस्ट प्रोडक्शन
  5. डिस्ट्रीब्यूशन

ये सभी प्रक्रिया है जिसके मदद से फिल्म निर्माण किया जाता है और उसी केहिसाब से फिल्म के डिपार्टमेंट भी बनाया जाता है | सभी डिपार्टमेंट में फिल्म केअलग अलग काम होते हैं और उसके लिए अलग-अलग अस्टिस्ट जिम्मेबार होते हैं

जैसे-
कहानी, बजट , कास्टिंग , ये सब के ऊपर डिटेल्स में प्रोडक्शन टीम के बिच डिसकसहोती है जो डेवलपमेंट प्रोसेस के अंदर आता है |

डेवलपमेंट : Development

डेवलपमेंट फिल्म निर्माण की सबसे प्रारंभिक प्रक्रिया है इसके अंदर सबसेपहले फिल्म के कहानी के बारे में चर्चा होता है | फिल्म निर्माण में किस तरह के कहानी के ऊपर फिल्म बनेगा पहले उसका निर्णय होता है | उसके बाद फिल्म किसी फिल्म राइटर को कहानी लिखने का काम दिया जाता है | ये सभी निरनय फिल्म प्रोडक्शन कंपनी और उसके टीम का होता है | फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ही फिल्म में पैसा लगाती है जो फिल्म प्रोडक्शन कमपनी कामालिक होता यही उसको प्रोडूसर बोलते हैं |

बजट : Budget

एक बार ये निर्णय हो गया की किस कहानी के ऊपर फिल्म बनाना है तो फिर फिल्म के बजट को फाइनल किया जाता है | कोई भी फिल्म कितने रूपए में बन सकती है इसका कोई सटीक मापदंड नहीं है | कोई फिल्म 1 करोड़ में भी बनती है और वहीं कोई-कोई फिल्म 500 करोड़ में भी बनती है | किसी फिल्म में कितना पैसा लगाया जायेगा वो निर्णय फिल्म
के प्रोडूसर करते हैं और उसी के हिसाब से पुरे फिल्म का खाका तैयार होता है | फिल्म का बजट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है | फिल्म स्क्रिप्ट राइटर जब फिल्म की कहानी लिखता है तो वो भी बजट को ध्यान में रखकर ही स्क्रिप्ट लिखता है | ताकि उतने सिमित पैसे में फिल्म का निर्माण हो सके | उदाहरण के लिए फिल्म में अगर किसी सीन में कार से भी काम चल सकता है तो उसमे हेलीकाप्टर लिख कर बजट को  बढ़ाना होता है | इससे फिल्म के इमोशन और कहनी के ऊपर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है | फिल्म की कहानी जो लिखता है उसे स्क्रिप्ट राइटर बोलते हैं | स्क्रिप्ट राइटर को फिल्म
के बजट के बारे में बता दिया जाता है की इतने बजट के अंदर फिल्म बनानी है और उसी

डायरेक्टर को चुनना  : Choose The Director

फिल्म को डायरेक्टर कौन करेगा ये निर्णय भी फिल्म निर्माण के डेवलपमेंट प्रक्रिया के अंदर होता है | फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ये नृणाय लेता है | कहनी के टॉपिक चुनने के बाद ही उसके मुख्य किरदार के लिए कौन से स्टार एक्टर को लिया
जाएगा वो निर्णय हो जाता है | मुख्य किरदार , कहानी , फिल्म की बजट , डायरेक्टर ये सभी फिल्म के डेवलपमेंट प्रक्रिया के अंदर होता है |

प्री-प्रोडक्शन : Pre Production

प्री-प्रोडक्शन में फिल्म के शूटिंग शुरू करने से पहले की सारी प्रक्रिया होती है | यानि प्रोडक्शन से पहले की प्रक्रिया को प्री-प्रोडक्शन कहलाता है | इसके अंदर फिल्म के स्किप्ट,तैयार किया जाता है , लोकेशन के बारे में लिस्ट तैयार किया जाता है, कौन-कौन एक्टिंग करेगा उसका कास्टिंग क्या जाता है | प्रीप्रोडक्शन प्रक्रिया के अंदर निम्न कार्यो पे ध्यान दिया जाता है-

1. स्क्रिप्ट राइटिंग

फिल्म के कहानी को स्क्रिप्ट या स्क्रीनप्ले बोलते हैं | एक कहानी और स्क्रिप्ट में काफी अंतर होता है | स्क्रिप्ट को एक अलग फॉर्मेट में लिखा जाता है जिस प्रकार से नाटक लिखा जाता है फिल्म के स्क्रिप्ट का स्ट्रक्चर भी कुछ उसी प्रकार का होता है | लेकिन फिल्म के स्ट्रक्चर में कैमरा और एडिटिंग दोनों को डिटेल्स में लिखा जाता है | स्क्रिप्ट लिखने में सबसे ऊपर सीन का जगह और समय को हिंट के तौर पे लिखना होता है | जिस सीन के बारे में लिखा जा रहा है वो दिन में शूट होगा या रात में , उसका समय क्या होगा , सीन आउटडोर में शूट होगा या इंडोर में उसके बारे में लिखा जाता है |उसके बाद के पैराग्राफ में एक्शन लिखते हैं उसके बाद कैरेक्टर का नाम लिखा जाता है फिर कैरेक्टर क्या डायलॉग बोल रहा है वो लिखना होता है उसके बाद कैमरा एंगल और एडिटंग हिंट लिखा जाता है | ये कुछ बेसिक जानकारी है की किस प्रकार से स्क्रिप्ट लिखा जाता है | जब स्क्रिप्ट पूरा हो जाता है तब फिल्म में कौन-कौन एक्टिंग करेगा उसका कास्टिंग किया जाता है |

2. कास्टिंग

कास्टिंग का मतलब होता है फिल्म में किस रोल के लिए कौन सा एक्टर काम करेगा |कास्टिंग के लिए कास्टिंग डायरेक्टर की जिम्मेबारी होती है | वो फिल्म के एक्टर कोसबसे पहले ऑडिशन लेते हैं फिर डायरेक्टर से मंजूर करवा के एक्टर को फिल्म में साइन करवाते हैं | कास्टिंग डायरेक्टर इन सभी कामो के लिए ही फिल्म इंडस्ट्री में रखा जाता है |
कुछ कास्टिंग एजेंसी है जो सिर्फ कास्टिंग का काम देखती है |

3.लोकेशन

फिल्म जहाँ पे शूट होगा उसको ढूढ़ना लोकेशन मैनेजर का काम होता है |लोकेशन मैनेजर शूटिंग लोकेशन को ढूढ़ता है फिर डायरेक्टर को दिखा कर उसे कन्फर्म करवाता है लोकेशन को बुक करता है | लोकेशन पे फिल्म निर्माण के सदस्य
के स्वास्थ्य और सुरक्षा का जिम्मेबारी भी लोकेशन मैनेजर की ही होती है |

4. प्रॉप्स एंड क्लॉथ

फिल्म में जो भी चीजे शूट के लिए इस्तेमाल की जाएगी सब का जुगाड़ करना फिल्म निर्माण के प्री-प्रोडक्शन प्रक्रिया के अंदर लिस्ट तैयार किया जाता है और सम्बंधित आर्ट डायरेक्टर को इसकी लिस्ट दे दी जाती है | फिर प्रोडक्शन के टीम
की ये जिम्मेबारी रहती है उन सब चीजों को उपलब्ध करवाना | प्री-प्रोडक्शन के अंदर कैमरा और लाइट के बारे में प्रोडक्शन टीम को सुचना दे दी जाती है ताकि शूट के दिन लाइट और उससे जरुरी चीजों को उपलब्ध करवा सके |
प्री-प्रोडक्शन के बाद आता है प्रोडक्शन |

फिल्म बनाने का प्रोसेस  Process Of Film Making

प्रोडक्शन प्रक्रिया के अंदर फिल्म की शूटिंग की जाती है है और प्रोडक्शन डिपार्टमेंट के अंदर फिल्म के शूटिंग से जुड़े लोग ही होते हैं | प्रोडक्शन के अंदर ही फिल्म के सेट को तैयार किया जाता है और फिर शूटिंग की जाती है | प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में सिनेमेटोग्राफर , डायरेक्टर , एक्टर , लाइटिंग आर्टिस्ट , सेट डिज़ाइनर ये सभी लोग मौजूद होते हैं |

1. सिनेमेटोग्राफर

सिनेमाटोग्राफर फिल्म की शूटिंग करता है | उसे कैमरा एंगल , कैमरा शॉट , इन सबको ध्यान में रखकर शूटिंग करना  होता है |और इसे सिनेमेटोग्राफी बोलते हैं | सिनेमेटोग्राफर को डायरेक्टर ऑफ़ फोटग्राफी भी बोलते हैं |

2. डायरेक्टर

फिल्म के डायरेक्टर को फिल्म निर्देशक भी बोलते हैं | फिल्म के निर्देशक फिल्म के सभी चरण में रहता देखरेख करता है | फिल्म के निर्देशक के दिशा निर्देशक पे सभी डिपार्टमेंट के लोग काम करते हैं |

3. एक्टर

एक्टर फिल्म में एक्टिंग करता है | एक्टिंग का मतलब होता है कसी कैरेक्टर के रोल को प्ले करना | फिल्म में काफी सरे कैरेक्टर होते हैं और उन सभी कैरेक्टर के लिए एक एक एक्टर को फिल्म में रखा जाता है| एक्टर को किसी भी रोल के लिए तभी चुना जाता है जब वो उस कैरेक्टर में फिट बैठ सकता है | प्रोडक्शन के अंदर पुरे फिल्म की शूटिंग कर ली जाती यही और फिर फिल्म पोस्ट- प्रोडक्शन प्रक्रिया के लिए चली जाती है |

पोस्ट प्रोडक्शन : Post Production

पोस्ट-प्रोडक्शन प्रक्रिया के अंदर फिल्म की एडिटिंग की जाती है |

  1. editing

फिल्म जब शूट होता है तो वो एक शॉट के क्लिप में होता है उन सबको एक साथ एक सीक्वेंस में एडिटिंग के मदद से ही किया जाता है | फिल्म के एडिटिंग में कुछ शॉट में एक्स्ट्रा फुटेज होता है उसको काट कर के हटाना और अगर कोई
इफेक्ट्स की आवश्यकता है तो इफेक्ट्स जोड़ना कही पे ग्राफ़िक्स की आवश्यकता है तो उसमे ग्राफ़िक्स को जोड़ना फिल्म एडिटिंग कहलाता है | फिल्म एडिटिंग के लिए फिल्म एडिटर को जॉब पे रखा जाट है और वो डायरेक्टर के
दिशा निर्देश पे फिल्म की एडिटिंग करता है | कुछ कंपनी ऐसी है जो सिर्फ फिल्म के एडिटिंग के सर्विस को ही इस्तेमाल करती है |

2. VFX

फिल्म निर्माण में कुछ सीन में कंप्यूटर से बनाये गये ग्राफ़िक्स को बैकग्राउंड में इस्तेमाल किया जाता है | उसको vfx बोलते हैं

vfx के लिए vfx आर्टिस्ट को रखा जाता है उसको विसुअल इफेक्ट्स आर्टिस्ट भी बोलते हैं | विजुअल इफेक्ट्स आर्टिस्ट कंप्यूटर ग्राफ़िक्स को तैयार कर के किसी भी सीन में ग्रीन स्क्रीन को हटा कर इस्तेमाल करता है |

डिस्ट्रीब्यूशन : Distribution

डस्ट्रीबिशन के अंदर फिल्म के प्रमोशन और रिलीज की प्रक्रिया होती है |फिल्म किस प्लेटफार्म पे रिलीज होगी उसका डिसीजन फिल्म निर्माण केसमय ही होता है | अगर फिल्म थेटरे के लिए बनी है तो उसका प्रमोशन उसी
प्रकर से किया जाता है और अगर फिल्म ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए बनी है तो उसको रिलीज और प्रमोशन की प्रक्रिया उसी प्रकार से की जाती है | यूट्यूब और फेसबुक, नेटफ्लिक्स , हॉटस्टार, अमेज़न प्राइम ये सभी ऑनलाइन पलटफोर्म है
जहाँ पे फिल्म को आसानी से रिलीज किया जा सकता है | फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए डिस्ट्रीब्यूटर को जिम्मेबारी दी जाती है |


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